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सरफ़रोशी की तमन्ना / बिस्मिल अज़ीमाबादी
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10:17, 6 मई 2019
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है
एक से
करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
Lalit Kumar
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