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अधर- मधु / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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5
'''अधर- मधु'''
'''
छलका पल-पल
'''
'''
भावविह्वल
।'''
6
आशा न छोड़ो
भूलो विगत दुःख
मैं हूँ संग में
।
7
मधु चुम्बन
नेह की आँच
पाएँगे तन मन
मुस्काओ तुम
।
9
स्वप्न में आऊँ
हमने ठाना।
14
'''
मौन टूटा है
'''
'''
सौरभ का झरना
'''
'''
मानों फूटा है।
'''
<
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poem>
वीरबाला
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