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06:41, 8 मई 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[रेंवतदान चारण]]
|अनुवादक=
|संग्रह=उछाळौ / रेंवतदान चारण
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<poem>
भांत भांत री भासावां अर भांत भांत रा भेस
न्यारी न्यारी छटा समेट्यां मुळकै भारत देस
सिखरां में सिरमौड़ सबायौ स्रिस्टी बीच हेमाळौ
संचै निरमळ जळ नदियां रौ सीवां रौ रखवाळौ
रैवै जग में माथौ ऊंचौ देवै नित संदेस
भांत भांत री भासावां अर भांत भांत रा देस
न्यारी न्यारी छट समेट्यां मुळकै भारत देस
संकट आयां सांम्हीं छाती जूंझारां ज्यूं भिड़णौ
आगै बधणौ कदै न रूकणौ पाछौ कदे न मुड़णौ
खांधै सूं खांधौ चाल्यां सगळा कटै कळैस
भांत भांत री भासावां अर भांत भांत रा देस
न्यारी न्यारी छट समेट्यां मुळकै भारत देस
नुंवी बणत रा पगमंडणां सूं धरां सुंरगी राचै
चांरूमेर खुसी रा बाजा जणगण हरखै नाचै
खेतां में लहराती खेती फूलै फळै हमेस
भांत भांत री भासावां अर भांत भांत रा भेस
न्यारी न्यारी छटा समेट्यां मुळकै भारत देस
</poem>
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