964 bytes added,
06:57, 8 मई 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[रेंवतदान चारण]]
|अनुवादक=
|संग्रह=उछाळौ / रेंवतदान चारण
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
लूरां फागण लेवणी कांमण करती कोड
कांण काळ राखी नहीं आई फागज ओढ
रम्मत मंडावै रावळा काळ गिणै नहीं कोय
सांग लावै केई सांतरा हरख घणै रौ होय
नर नाचै संग चंग रै लेवै लुगायां लूर
मिनख कुमांणस काळ नै राखै कोसां दूर
फागण में फगडा करै काळ बडौ विकराळ
मरजादा छोडै मिनख तिन तिन कूदै ताळ
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader