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ड्रामा / विनय मिश्र

13 bytes removed, 17:51, 6 जुलाई 2019
<poem>
एक नया ड्रामा शुरू हो गया है
कालिदास की चमचमाती कलम
शेक्सपियर चुरा कर ले भागे हैं
और उपनिषदों के घृत से पश्चिम को विचारों का आँव हो गया है निन्यानबे के चक्कर में एक शहरी महाजन ने मंदिर की छत से कूदकर आत्महत्या कर ली है
और सुखों की जगह
जनता बेचारी की किस्मत में अकस्मात् अंतहीन कष्टों की
उसके पीछे
भूत का कुआंँ
और आगे
भविष्य की खाई है
हांँ, उसे इतनी सुविधा तो है कि
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