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रात के अन्तिम प्रहर / रोके दाल्तोन / राजेश चन्द्र
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07:38, 19 अगस्त 2019
जब तुम जान जाओ कि मेरी मृत्यु हो चुकी,
मत पुकारना कभी मेरा नाम ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र'''
</poem>
अनिल जनविजय
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