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तोड़ कर सब वर्जनाएँजीवन बस अपना होता है,स्वप्न सारे जीत लेंगे एक दिन हम ।।अपने ही सँग जीना सीखो॥
राह में जो धूल की जब-जब आशा के पौधोँ कोआँधी उड़ी, सींचा जिस ने बडे जतन सेक्या पता क्यों समय की धारा मुड़ीफूल खिलेँगे,मंज़िलों के रास्ते भी थे ख़फ़ामोती देँगे, साथ में फिर और कठिनाई जुड़ीसपना बोया बहुत लगन से,पर क्षितिज के पार खिलती माली ने निष्ठुरता से यूँरोशनी अधखिलती कलियों को काटाभी वरेंगे एक दिन हम ।।रँगहीन था रक्त बहा जोक्या होती परवाह किसी को॥
देखते ही देखते नई-पुरानी छोटी-छोटीयुग बीतताआशाओं के बादल जोडे,बूँद-बूँदों समय का घटकहीं सितारा, कहीं चँद्रमा,रीतताझिलमिल रातें, सपने तोड़े, काट सोचा छू ले पँख लगा कर सब बंध सारी कामना,लक्ष्य हो ध्रुव जबऐसी आँधी चली अचानकतभी मन जीतता, त्याग सावन बरसा पर तरसा कर झूठे सहारे,आवरण तम का हरेंगे एक दिन हम ।।फिर से प्यासा रखा नदी को॥
ज़िंदगी की राह में ठोकर मिले,हम हैं जो रहे मन में वही बुनते अनदेखेमन को छिलेसब आशंकाओं के जाले,लड़खड़ाए थे क़दम हम ही होते शत्रु स्वयं केइक पल मगरअपने से ही चलते चालें,फिर चले हँस तेज़ धार में समझबूझ कर मिटा कर हर गिलेदे देते पतवार नाव की,रात कितनी हो अंधेरीगहरे जल के हिचकोलों मेंसूर्य रथ पर भी चढ़ेंगे दोषी ठहराते माझी को॥एक दिन हम ।।जीवन बस अपना होता है,अपने ही सँग जीना सीखो॥
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