: हृदय में काँपता विश्वास,<br>
: कि कितनी दूर है मधुमास ? <BR>
पतझर बीच हलकी साँस ले मुरझा रही है ज़िन्दगी !<br> कितनी बेबसी के बीच गुज़री जा रही है ज़िन्दगी !<br><br>
:(वाद्य-ध्वनि और धीमी-धीमी आवाज़ के साथ, अब पास आते हुए नूपुरों की झनकार भी सुनायी देती है। युवक का स्वर कुछ धीमा पड़ जाता है, पर गान का क्रम बिना टूटे चलता रहता है —
: हृदय में रह गये अरमान,<br>
: कि कितनी दूर है मुसकान ? <BR>
छाया हड्डियों की बन अकेली छा रही है ज़िन्दगी !<br> कितनी बेबसी के बीच गुज़री जा रही है ज़िन्दगी !<br><br>
:(मंच पर एक दमकती हुई नारी - नयी ज़िन्दगी की तसवीर बन कर नृत्य करती आती है ; जिसके तन पर रंगीन प्रकाश पड़ रहा है। युवक चकित होकर उसकी ओर देखता है,<br> उसका गान रुक जाता है। इसी समय पृष्ठभूमि का यह स्वर प्रखर हो उठता है —