गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
किनारे मिले / प्रेमलता त्रिपाठी
151 bytes added
,
17:07, 30 अक्टूबर 2019
ज्योति पावन जगे सत्य से मत डरो,
दीप के ही तले अंधियारे मिले।
संग जीवन चला है इसे देखना,
प्रेम आधार मन बिन पुकारे मिले।
</poem>
सशुल्क योगदानकर्ता ५
Delete, Mover, Reupload, Uploader
16,500
edits