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आदमी-औरत / स्वदेश भारती
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14:27, 4 नवम्बर 2019
<poem>
आदमी ने कहा — आओ चलें, आगे और आगे
औरत ने
कहा—
कहा —
हाँ चलो, पर थोड़ा सुस्ता लें
नदी किनारे, पर्वत की छांव में
सागर-तट पर, वसन्त-कानन में ।
अनिल जनविजय
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