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खट्टी चटनी जैसी माँ / निदा फ़ाज़ली
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23:55, 4 नवम्बर 2019
चिड़ियों के चहकार में गूँजे राधा-मोहन अली-अली ,
मुर्गे की आवाज़ से खुलती, घर की
कुंड़ी
कुंडी
जैसी माँ ।
बीवी, बेटी, बहन, पड़ोसन थोड़ी-थोड़ी सी सब में ,
दिन भर इक रस्सी के ऊपर चलती नटनी जैसी
मां
माँ
।
वीरबाला
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