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अब भी घुटनों के बल चलता / प्रताप नारायण सिंह
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20:34, 6 नवम्बर 2019
धीर और गंभीर सभी
नेपथ्य पकड़ रह जाते
हँसा
सकेंवे
सकें वे
जोकर ही बस
इसके मन को भाते
Pratap Narayan Singh
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