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यादें / लावण्या शाह
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03:28, 3 अगस्त 2006
आसमान पर कितने तारे!<br>
कितनी परियाँ रोज उतरतीँ,<br>
मेरे
सप्नोँ
सपनोँ
मेँ आ आ कर मिलतीँ.<br>
" क्या भूलूँ, क्या याद करूँ ? "<br>
मेरे घर को या अपने बचपन को ?<br>
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