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|विषय=मदन कश्यप जितने प्रेम के कवि हैं, उतने ही प्रकृति, जीवन राग व संघर्ष के कवि भी। समाज व परिवार, सम्वेदना व करुणा उनमें भरपूर है।
|शैली=मुक्तछन्द
|पृष्ठ=108
|ISBN=
|विविध=
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