Changes

लंगुरिया - १ / भदावरी

6 bytes removed, 15:01, 23 अगस्त 2008
{{KKGlobal}}
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=भदावरी
}}
<poem>
करिहां चट्ट पकरि के पट्ट नरे में ले गयो लांगुरिया॥ टेक॥
आगरे की गैल में दो पंडा रांधे खीर,चूल्ही फ़ूंकत मूंछे बरि गयीं फ़ूटि गयी तकदीर॥ करिहां॥
आगरे की गैल में एक डरो पेंवदी बेर,जल्दी जल्दी चलो भवन को दरशन को हो रही देर॥ करिहां॥
आगरे की गैल में लांगुर ठाडो रोय,लांगुरिया पूरी भई भोर भयो मति सोय॥ करिहां॥
[http:<//www.astrobhadauria.in/ रामेन्द्र सिंह भदौरिया]poem>