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इश्तहार / कुमार विकल

1 byte added, 04:39, 26 अगस्त 2008
इसमें कुछ संदेश हैं
:::सूचनाएँ हैं
कुछ आँकड़े हैं
:::योजनाएँ हैं
कुछ वायदे हैं
:::घोषणाएँ हैं
इस देववाणी को पढ़ो
और हमें विश्व बैंक से नया क़र्ज़ा मिल रहा है
इस क़र्ज़ से कई कारखाने लगाए जाएँगेजाएंगे
कारखानों से कई धंधे चलाए जाएँगेजाएंगे
उन धंधों से लाखों का लाभ होगा
उस लाभ से और कारख़ाने लगाए जाएँगेजाएंगे
उन कारख़ानों से और उद्योग चलाए जाएँगे जाएंगे
उस लाभ से और कारख़ाने लगाए जाएँगेजाएंगे
इस तरह लाभ—दर—लाभ के बाद
जो शुभ लाभ होगा
उससे ग़रीबों के लिए घर बनाए जाएँगेजाएगे
उन पर उन्हीं की शान के झंडे लहराए जाएँगेजाएंगे
सभी ग़रीब एक आवाज़ से बोलें—
हमें उसे ज़बर्दस्ती इस दीवार के पास लाना है
और इस इश्तहार को पढ़वाना है.है।
आख़र आख़िर यह सरकारी इश्तहार है
और आजकल सरकारी इश्तहार
दीवार पर चिपका
कोई देवता या अवतार है.है।
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