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|रचनाकार=पूनम चंद गोदारा
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<poem>
बजर री छाती
माटी रो सरीर लिंया
म्हैं रोज
मुठभेड़ करूँ
मैह आंधी तुफाना
लू-सी आद स्यूं
कदै
विधाता रै खेल स्यूं
माटी रौ सरीर
जावै हार
कदै बजर छाती
जावै जीत !
</poem>
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