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अपना प्यारा गाँव / हरेराम बाजपेयी 'आश'
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09:15, 13 फ़रवरी 2020
नाम पुकारत हुंकरत आएँ,
श्याम सलोनी संध्या आती,
पहन के पायल पाँव... कैसे
...
भूलूँ
यहाँ न उगता सूरज दिखता,
लम्बी लम्बी सड़कें काली,
सिर्फ शोर है और शोर है
चकाचौंध
चका चौंध
की काली
छाँव ...
छाँव।
कैसे
भूलूँ
...
</poem>
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