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आंदोलन / मधुप मोहता

3 bytes added, 03:52, 14 मार्च 2020
और चलो मत अंगारों पर।
मेरा लहू बिखर जाएगा
नारे बनकर दिवरों दिवारों पर।
'''(कनु सान्याल के लिए)'''
</Poem>