गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
ख़तरे / वेणु गोपाल
3 bytes added
,
11:30, 6 सितम्बर 2008
अपने पार भविष्य दिखाते हुए।
जैसे छोटे से
गुदाज
गुदाज़
बदन वाली बच्ची
किसी जंगली जानवर का मुखौटा लगाए
धम्म से आ कूदे हमारे आगे
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits