गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
भाईचारा / इंगेबोर्ग बाख़मान्न / अनिल जनविजय
19 bytes removed
,
17:40, 29 मार्च 2020
<poem>
हमारा हर काम, हर चीज़ चोट पहुँचाती है एक-दूसरे को
और हम में से किसी ने भी दूसरे को माफ नहीं किया
है।
तुम्हारी ही तरह दुखदायी और उत्पीड़क हूँ
मैं
तुम्हारे ही आस-पास
रहता
रहती
हूँ।
हर छुअन बढ़ाती है
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,720
edits