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फसल / नागार्जुन
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15:55, 28 अप्रैल 2020
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<poem>
एक
के
की
नहीं, दो
के
की
नहीं,
ढेर सारी नदियों के पानी का जादू:
एक के नहीं,
दो के नहीं,
लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा:
एक
के
की
नहीं, दो
के
की
नहीं,
हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण धर्म:
Sharda suman
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