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18:39, 13 सितम्बर 2008 आदी हो चुके हैं ये शब्द<br />
नेताओं की भाषा बोलने के<br />
बदलते रहते हैं इनके अर्थ भी<br />
बदलते युग के साथ<br />
इनकी बदलती भाव भंगिमाओं से<br />
तंग आ चुके हैं शब्दकोश<br />
जो कुछ मैं लिख रहा हूं आज<br />
न जाने क्या क्या अर्थ निकाले जाएं<br />
कल इन्ही शब्दों से<br />
तो क्या<br />
मैं भरोसा नहीं कर सकता<br />
अपने शब्दों पर भी।