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07:35, 7 जून 2020 {{KKGlobal}}
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<poem>
घोघो रानी केतना पानी
दिन में दउड़े रात बेचैनी
पइसा ला परेशान जवानी
थकल भुखाइल जिनगी पूछे
घोघो रानी केतना पानी।
जब से आइल बा रसायन
तबसे नयकी पीढ़ी भुलाइल
सोआरथ बस सब नाता बाटे
अपनापन नपाता बाटे
खतम भइल सब बात पुरानी
घोघो रानी केतना पानी।
बूढ़शाला में बुढ़ऊ गइलें
घर से ऊ बोहिआवल गइलें
अब केकरा से सुनी कहानी
घर से गइली बुढ़िया नानी
घोघो रानी केतना पानी।
</poem>