475 bytes added,
07:19, 8 जून 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGeet}}
<poem>
दुनिया लागेला दैनिक अखबार हो गइल
दिन दिन जिनिगी के दिन
समाचार हो गइल।
कान का कहिया अवसर
मिली कि सुनी।
एगो आदमी से आदमी के
प्यार हो गइल।
</poem>