641 bytes added,
11:59, 15 जून 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= इरशाद अज़ीज़
|अनुवादक=
|संग्रह= मन रो सरणाटो / इरशाद अज़ीज़
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
बगत रो डाकियो
थारी ओळूं री पाती
जद देय‘र जावै
म्हारी उडीक
और सवाई हुय जावै
म्हैं जाणूं हूं
अबै थूं नीं आ सकै
उण दुनिया सूं
पण उडीक तो रैसी ई थारी।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader