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उडीक! / इरशाद अज़ीज़

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|रचनाकार= इरशाद अज़ीज़
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|संग्रह= मन रो सरणाटो / इरशाद अज़ीज़
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<poem>
बगत रो डाकियो
थारी ओळूं री पाती
जद देय‘र जावै
म्हारी उडीक
और सवाई हुय जावै
म्हैं जाणूं हूं
अबै थूं नीं आ सकै
उण दुनिया सूं
पण उडीक तो रैसी ई थारी।
</poem>
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