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मुहब्बत का ही इक मोहरा नहीं था / हस्तीमल 'हस्ती'
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08:58, 17 जून 2020
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मुहब्बत का ही इक
मोहरा
मुहरा
नहीं था
तेरी शतरंज पे क्या-क्या नहीं था
जहाँ दिल था भले दरिया नहीं था
हमारे ही
कदम
क़दम
छोटे थे वरना
यहाँ परबत कोई ऊँचा नहीं था
Abhishek Amber
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