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इन ढलानों पर वसंत आएगा / मंगलेश डबराल
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10:16, 18 जून 2020
ठंड से मरी हुई इच्छाओं को
फिर से जीवित करता
धीमे-धीमे धुँधुवाता
खाली
ख़ाली
कोटरों में
घाटी की घास फैलती रहेगी रात को
ढलानों से मुसाफ़िर की तरह
Abhishek Amber
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