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सार्वजनिक और पराक्रमी देवताओं के साम्राज्य में
हमारे देवता छोटे अशक्त और व्यक्तिगत किस्म क़िस्म के हैं
सुन्दर सर्वशक्तिमान संप्रभु स्वयंभू सशस्त्र देवताओं से अलग
उनके चहरे बेडौल बिना तराशे हुए है
हमारे देवता अपनी विकलता में जागते रहते हैं
भीमकाय सायों से घिरे हुए
वे अपनी तकलीफ तकलीफ़ किसी को बता नहीं पाते
कभी-कभी उनके भीतर से एक आर्त पुकार सुनाई देती है—बचाओ!
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