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मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है / हरिवंशराय बच्चन
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07:34, 22 जून 2020
है मुझको मालूम कि अधरों
के ऊपर जगती है बाती,
:::उजियाला
करदेनेवाली
कर देने वाली
:::मुसकानों से भी परिचित हूँ,
पर मैंने तम की बाहों में अपना साथी पहचाना है।
मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है|
</poem>
Arti Singh
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