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दुल्हन की जिसे पहनाई गई थी पोशाक,
वह तो थी सड़ी-गली लाश।
 
तुम रहे अवाक्,
हुए हैरान,
कहनेवाला भले ही हो शैतान,
तुम तो थे भगवान।
 
जीवन है एक चुभा हुआ तीर,
छटपटाता मन, तड़फड़ाता शरीर।
किसने किया शर का संधान?-
क्यों किया शर का संधान?
किस किस्मा किस्म का है बाण?
ये हैं बाद के सवाल।
तीर को पहले दो निकाल।
उसे वश में करना है सरल।
अंत में, सबका है यह सार-
जीवन दुख ही दुख का है विस्तायरविस्तार,
दुख की इच्छा है आधार,
अगर इच्छा् को लो जीत,
ध्वनित-प्रतिध्वनित
तुम्हारी वाणी से हुई आधी ज़मीन-
भारत, बर्मा, लंका, स्या मस्याम,
तिब्बात, मंगोलिया जापान, चीन-
उठ पड़े मठ, पैगोडा, विहार,
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