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मानुस हौं तो वही / रसखान
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13:39, 1 जुलाई 2020
|रचनाकार = रसखान
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मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन।
जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥
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