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जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला / शिवमंगल सिंह ‘सुमन’
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08:06, 5 जुलाई 2020
जीवन अस्थिर अनजाने ही, हो जाता पथ पर मेल कहीं,
सीमित पग डग, लम्बी मंज़िल, तय कर लेना कुछ खेल नहीं।
दाएँ-बाएँ सुख-दुख चलते, सम्मुख चलता पथ का
प्रसाद
प्रमाद
—
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,
उस-उस राही को धन्यवाद।
Sharda suman
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