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प्रेम हमारा / विजयशंकर चतुर्वेदी
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16:51, 9 जुलाई 2020
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|रचनाकार=विजयशंकर चतुर्वेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
मैंने देखा तुम्हें गुलफरोश के यहाँ
गुलाब चुनते हुए
वैसे तो मुझको तुम सुंदर लगती पूरे मन से
मुस्करा लेती हो मशीन पर इतने भोलेपन से।
</poem>
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