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हूक तेरी घाटियों में / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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05:32, 31 जुलाई 2020
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<poem>
प्रतिध्वनित
पल-प्रतिपल
'''
हूक तेरी घाटियों में
'''
'''
टेरती मुझको।
'''
और सब सुधियाँ
मधुरता पान करके
उजाले द्वार पर
तेरे धरूँगा।
<
/
poem>
Abhishek Amber
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