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घर से निकले सुबह, शाम को घर लौटे / जहीर कुरैशी
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15:33, 20 सितम्बर 2008
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|रचनाकार=जहीर कुरैशी
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घर से निकले सुबह, शाम को घर लौटे
मीठी—मीठी थकन लिए अक्सर लौटे
Pratishtha
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