{{KKCatNavgeet}}
<poem>
लो विदा दे दी तुम्हे तुम्हें इस जन्म में,
किन्तु अगले जन्म का वादा करो
तोड़कर बन्धन सभी सँग सँग रहोगी।
सुमन अर्पण, आचमन या मन्त्र में
है सभी में मन मगर खुलकर नही।नहीं।
अब न रखना व्रत मुझे मत माँगना
यत्न कोई भाग्य से बढ़कर नही।नहीं।
छोड़ दो करनी प्रतीक्षा द्वार पर
मान्यताएँ हैं जमाने की कठिन
किन्तु अपना प्यार है सच्चा सरल।
परिजनों की बात रखनी है तुम्हेतुम्हें
इसलिए मैं हारता हूँ "आज, कल"।