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09:32, 21 सितम्बर 2008 {{KKGlobal}}
{{KKAnooditRachna
|रचनाकार=जेम्स फ़ेंटन
|संग्रह=जेम्स फ़ेंटन चुनिंदा कविताएँ / जेम्स फ़ेंटन
}}
बढ़ती है जिसकी आ?बादी
क़ब्रिस्तान के पास
भीड़ करती हैं वहां अपना जीवन बसर
स्मारकों के नज़दीक
:कभी इस कदर ठंड न थी
एक पैराशूट झूलता हुआ
परियों और मृतकों की ख़ाक़ के बीच
वह नयों के लिए जगह बना देता
:लकड़ी के बिस्तरों की
बेइंतहा दरकार थी
:लोग अपने पेट्रोल की सप्लाई
बचाकर रखते किसी लीटरभर बोतल में
जिसे उनके बच्चे
समाधि-स्थल के गेट के पास बेचते होते
:शहर की उस रात पर
रॉकेट गिरे दनादन
हुए हमले
:फ़ायर ब्रिगेड ने
समय की
कर डाली नीलामी
:लोगों ने अपने पैसे
बिस्तरों के नीचे ठूंस दिए
ताकि वह उनको दे सकें
फ़ायरब्रिगेड वाले को
:झोपड़ क़स्बा नष्ट कर दिया गया
खोल दिए गए
समाधि-स्थल के द्वार
एयरपोर्ट से ज़्यादा दूर नहीं
एक विमान को गिराए जाते देखना
कई सारे विश्व समुदाय
भय से भर गए
:अगले रोज़
वो खड़े होते हैं अखाड़े की पांत में
कहने के लिए हमें बख़्स दो
:पहुंचती है जब सेना
विजय पताका लहराकर
फ़ायरब्रिगेड स्वागत करता है बाहें फैलाए
:यही है महज़
एक स्वत: स्फूर्त प्रदर्शन
उनके हक़ में
:दूसरे स्वत: स्फूर्त प्रदर्शन
जो उनके लिए होते हैं
उनको आयोजित करते हैं
विजय पताका फहराने वाले