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{{KKCatNazm}}
<poem>
टुक हिर्सो-हवाहवस<ref>लालच</ref> को छोड़ मियां, मत देस विदेश फिरे मारा।
क़ज़्ज़ाक़<ref>डाकू</ref> अजल<ref>मौत</ref> का लूटे है, दिन रात बजाकर नक़्क़ारा।
क्या बधिया, भैंसा, बैल, शुतर<ref>ऊंट</ref> क्या गोनंे पल्ला सर भारा।