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रास्ते / आत्मा रंजन

7 bytes removed, 09:55, 20 अगस्त 2020
<Poem>
डिगे भी हैं
लड़खड़ाई लड़खड़ाए भी
चोटें भी खाई कितनी ही
 पगड़ंडियां पगडंडियां गवाह हैं कुदालियोंकुदलियों, गैंतियों या डाईनामाईट खुदाई मशीनों ने नहीं कदमों ने ही बनाए हैं रास्ते। - रास्ते! </poem>
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