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रास्ते / आत्मा रंजन
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09:55, 20 अगस्त 2020
<Poem>
डिगे भी हैं
लड़खड़ाई
लड़खड़ाए
भी
चोटें भी खाई कितनी ही
पगड़ंडियां
पगडंडियां
गवाह हैं
कुदालियों
कुदलियों
, गैंतियों
या
डाईनामाईट
खुदाई मशीनों
ने नहीं कदमों ने ही बनाए हैं
रास्ते।
-
रास्ते!
</poem>
Sharda suman
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