1,238 bytes added,
05:14, 24 अगस्त 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विक्रम शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
जब भी करती थी वो नदी बातें
करती थी सिर्फ़ प्यास की बातें
हम कि चेहरे तो भूल जाते हैं
याद रह जाती हैं कई बातें
डूबने वाले इस भरम में थे
करती होगी ये जलपरी बातें
फूल देखें तो याद आती हैं
आपकी खुशबुओं भरी बातें
इश्क़ में इतना डर तो रहता हैं
खुल न जाये ये आपसी बातें
हो न पाया कभी ये दिल हल्का
लद गयी दिल पे बोझ सी बातें
बीती बातों पे ऐसे शेर कहो
शेर से निकले कुछ नयी बातें
आपकी चुप तो जानलेवा हैं
मुझसे कहिये भली बुरी बातें
</poem>