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03:55, 27 अगस्त 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पूजा प्रियम्वदा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
तुम गुम गए
ज्यूं सर्दी की
बारिश से
नर्म धूप
कंधे में
उलझी पड़ी है
तभी से
एक ज़िद्दी नस
तुम्हारे गर्म बोसे
जैसा आराम
क्या देगी
एक आम दवा
</poem>