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|रचनाकार=रमेश तन्हा
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|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
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<poem>
क्या वक़्त खराबी का हुआ है वारिद
माहौल ही तरसां हुआ है वारिद
अब सूरते-हालात की कुछ खैर नहीं
शमशीर-ब-कफ़ लम्हा है वारिद।
</poem>
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