गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
मेरी दुल्हन सी रातों को ... / गोपाल सिंह नेपाली
198 bytes added
,
08:12, 27 सितम्बर 2008
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=जहीर कुरैशी
|संग्रह=भीड़ में सबसे अलग / जहीर कुरैशी
}}
<poem>
बदनाम रहे बटमार मगर,
घर तो रखवालों ने लूटा
नैहर को लौटी डोली तो,
बेदर्द कहारों ने लूटा।
</poem>
सम्यक
KKSahayogi, Mover, Uploader,
प्रशासक
,
सदस्य जाँच
,
प्रबंधक
,
widget editor
3,794
edits