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प्रकृति जितना देती है / शार्दुला नोगजा
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08:48, 7 सितम्बर 2020
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|रचनाकार=शार्दुला नोगजा
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>जहाँ हँसे हैं लाल फूल, वहाँ
नीले भी अक्सर खिल जाते
निश्छलता कितनी प्रकॄति में
१३ नवम्बर ०८
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