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{{KKRachna
|रचनाकार=शार्दुला नोगजा
|अनुवादक=
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}}
{{KKCatKavita}}<poem>पेड़ों के झुरमुट से छन के जो आती
धवल धूप क्या याद मुझ को दिलाती
हरे खेतों की जो मड़ैया से जाता
०९ अक्तूबर ०८
 
</poem>
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