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बड़ा याद आता है बन के प्रवासी / शार्दुला नोगजा
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08:49, 7 सितम्बर 2020
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|रचनाकार=शार्दुला नोगजा
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<poem>पेड़ों के झुरमुट से छन के जो आती
धवल धूप क्या याद मुझ को दिलाती
हरे खेतों की जो मड़ैया से जाता
०९ अक्तूबर ०८
</poem>
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