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कभी कुछ ग़म भी हो हरदम ख़ुशी अच्छी नहीं होती / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
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कभी कुछ ग़म भी हो हरदम ख़ुशी अच्छी नहीं होती
वीरेन्द्र खरे अकेला
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