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{{KKRachna
|रचनाकार=कुमार मुकुल
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हां मैं तुझसे प्यार करता हूं
जैसे हवाएं
जैसी कि वेा डूबती चली जाती हैं
तुम्हारी आंखों की छवि मे ...
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