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लैंडस्केप-2 / गुलज़ार
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20:31, 29 सितम्बर 2008
टोलियाँ कुछ रुकी हुईं ढलानों पर
डाग़
दाग़
लगते हैं इक पके फल पर
दूर सीवन उधेड़ती-चढ़ती,
अनिल जनविजय
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