{{KKRachna
|रचनाकार=निदा फ़ाज़ली
|अनुवादक=
|संग्रह=आँखों भर आकाश / निदा फ़ाज़ली
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
जो हो इक बार, वह हर बार हो ऐसा नहीं होता
हमेशा एक ही से प्यार हो ऐसा नहीं होता
हरेक कश्ती का अपना तज्रिबा होता है दरिया में
सफर में रोज़ ही मंझदार हो ऐसा नहीं होता
जो हो इक बार, वह हर बार हो ऐसा नहीं होता<br>हमेशा एक ही से प्यार हो ऐसा नहीं होता<br><br> हरेक कश्ती का अपना तज्रिबा होता है दरिया में<br>सफर में रोज़ ही मंझदार हो ऐसा नहीं होता<br><br> कहानी में तो किरदारों को जो चाहे बना दीजे<br>
हक़ीक़त भी कहानी कार हो ऐसा नहीं होता
</poem>